बाल अधिकार पर निबंध

Essay on Child Rights in Hindi
बाल अधिकार पर निबंध | Essay on Child Rights in Hindi | NCPCR का फुल फॉर्म | बाल अधिकार दिवस 2021 कब है?

बाल अधिकार पर निबंध | Essay on Child Rights in Hindi

बचपन जीवन का वह सुनहरा पल होता है जिसमें बच्चों को प्यार, दुलार और सहकार की जरूरत होती है। लेकिन कुछ लोगों के स्वार्थ की वजह से मौजूदा समय में बच्चों के एक बड़े वर्ग को शोषण झेलना पड़ रहा है। आज बच्चों के अधिकारों का हनन, उनके साथ गलत व्यवहार तथा कई अपराध हो रहे हैं। इसे देखते हुए बच्चों के अधिकारों की रक्षा के लिए कानून बनाना एक जरूरत बन चुका था।

इसे देखते हुए बाल अधिकार कानून प्रकाश में आया। बालकों के अधिकारों से अवगत होने से पहले यह जानना जरूरी है कि आखिर बालक किन्हें कहा जाए। दरअसल, 1989 में हुए बाल अधिकार सम्मेलन में बालक शब्द को परिभाषित किया गया है जिसके मुताबिक, “कोई भी व्यक्ति जिसकी आयु 18 वर्ष से कम है, जब तक कि नियम में परिभाषित वयस्कता को पहले प्राप्त नहीं किया हो, बालक कहलाता है।”

बालकों के अधिकारों की जागरूकता के लिए विश्व में अंतरराष्ट्रीय बाल अधिकार सप्ताह (आईसीआरडब्ल्यू) मनाया जाता है। यह सप्ताह 14 से 20 नवंबर तक मनाया जाता है। भारत में भी बाल अधिकारों को लेकर काफी काम किए जा चुके हैं इसी का परिणाम है कि भारत में भी हर वर्ष 20 नवंबर को बाल अधिकार दिवस के रूप में मनाया जाता है। वहीं दूसरी ओर बालकों के अधिकारों की रक्षा के लिए राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग जिसे एनसीपीसीआर कहते हैं, का गठन किया गया है। इस आयोग का काम होता है कि वे कानूनों, नीतियों तथा सरकारी व्यवस्था की देखरेख कर उसका आकलन करें। साथ ही यह, ये भी देखता है कि बच्चों के अधिकार संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा बनाए गए यूनिवर्सल चाइल्ड राइट्स के भी अनुरूप हो।



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NCPCR का फुल फॉर्म

The National Commission for Protection of Child Rights, जिसे “राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग” के नाम से भी जाना जाता है का गठन 5 मार्च 2007 को किया गया जो कि 18 साल से कम उम्र के बच्चों के अधिकारों की रक्षा के लिए बनाया गया है।

बाल अधिकार दिवस 2021 कब है

बाल अधिकार दिवस 2021, 20 नवंबर को मनाया जायेगा। यह हर साल 20 नवंबर को इसलिए मनाया जाता है क्योंकि साल 1959 में बाल अधिकारों की घोषणा की गई थी जिसे 20 नवंबर 2007 को स्वीकारा गया था।

बाल अधिकार किसे कहते हैं?

वैसे तो सभी बालक उन अधिकारों को पाने के हकदार हैं, जो कि एक वयस्क को मिलते हैं। हालांकि इसमें मतदान के अधिकार को शामिल नहीं किया जा सकता। बाल अधिकार उन अधिकारों को कहा जाता है जो कि नाबालिग़ों को सुरक्षा प्रदान करने के लिए बनाए गए हैं। इन अधिकारों में जीवन का अधिकार, पोषण, स्वास्थ्य का अधिकार, शिक्षा का अधिकार, परिवार और पारिवारिक पर्यावरण से उपेक्षा की सुरक्षा का अधिकार, बदसलूकी, दुर्व्यवहार और बच्चों के शोषण के विरुद्ध अधिकार शामिल है।

भारत में बाल अधिकारों को लेकर साल 2007 में संवैधानिक संस्था का गठन किया गया था जिसे बाल अधिकार संरक्षण आयोग कहा जाता है। देश में बाल अधिकारों को लेकर जागरूकता फैलाने के लिए कई संगठन, सरकारी विभाग, नागरिक समाज समूह और एनजीओ कार्यरत है।



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बाल अधिकारों को लागू करने के उद्देश्य

  • 18 वर्ष से कम उम्र के सभी बालकों के समुचित विकास पर जोर देना तथा उनके अभिभावकों को जागरूक करना।
  • जिन बालकों की आर्थिक स्थिति खराब है उनके सुनहरे भविष्य के लिए योजनाएं बनाना।
  • बालकों के यौन शोषण को रोकने के लिए जन जागरूकता फैलाना।
  • देश और दुनिया के विभिन्न राज्यों में बालकों की स्थिति का जायजा लेना आदि।

आखिर बाल अधिकारों की आवश्यकता क्यों है?

कई लोगों का यह मानना है कि जब मानवाधिकार सभी के लिए लागू किए गए हैं तो इसके इतर आखिर बालकों के लिए अलग से प्रावधान करने की जरूरत क्यों है? इसके पीछे की वजह यह है कि मौजूदा समय में बालकों की स्थिति बेहद खराब है, आए दिन छोटे-छोटे बच्चे और बच्चियों के साथ बलात्कार की घटनाएं सामने आती हैं।

छोटे-छोटे बच्चों को असंगठित क्षेत्रों, भट्टियों पर काम करवाया जाता है। बाल तस्करी की घटनाएं हर दिन घटित होती हैं। जिस वजह से इन बच्चों का बचपन पूरी तरह से तबाह हो जाता है। इसी को देखते हुए तथा उन बच्चों के अधिकारों की रक्षा के लिए बाल अधिकार जरूरी है।

भारत में बाल अधिकारों की रक्षा के लिए कई कदम उठाए जा चुके हैं ऐसा ही कदम उठाने वालों में कैलाश सत्यार्थी का नाम शुमार है, जो एक बाल अधिकार कार्यकर्ता होने के साथ ही विश्व भर में बाल श्रम के विरुद्ध काम करते हैं। 1980 में उन्होंने ‘बचपन बचाओ आंदोलन’ नामक एक संस्था की शुरुआत की, यह संस्था लगातार बाल अधिकारों को लेकर काम कर रही है। संस्था के द्वारा बाल तस्करी और बंधुआ मजदूरी को लेकर कई काम किए गए हैं। अब तक कैलाश सत्यार्थी जी के द्वारा 140 से अधिक देशों में करीब 83 हज़ार बच्चों को बाल मजदूरी से मुक्ति दिलाई गई है।

कुछ बाल अधिकारों के नाम इस प्रकार हैं:-

  • प्रत्येक बालक को जीवन का अधिकार प्राप्त है।
  • प्रत्येक बालक को उनके परिजनों के साथ रहने का अधिकार है।
  • सभी बालकों को स्वास्थ्य सेवाएं प्राप्त करने का अधिकार है।
  • सभी बच्चों को शिक्षा का अधिकार है।
  • उन्हें अपनी बात रखने का अधिकार है।
  • बच्चों को संगठन और सभा के निर्माण का अधिकार है।
  • सभी बच्चों को सामाजिक, आर्थिक शोषण के खिलाफ आवाज उठाने और उसकी शिकायत दर्ज करने का अधिकार है।

यह थे कुछ सामान्य अधिकार जो हर बच्चे को प्राप्त है। इसके अलावा भारत में भी अलग से बाल अधिकारों को लेकर 2006 में एक लिस्ट तैयार की गई है जिसमें निम्नलिखित अधिकार शामिल है:-

  • भारतीय संविधान की धारा 21 में 6 से 14 वर्ष के सभी बच्चों को निशुल्क प्रारंभिक शिक्षा प्राप्त करना अनिवार्य है।
  • भारत में रहने वाले प्रत्येक बच्चे को स्वास्थ्य का अधिकार है।
  • इसके अलावा यदि बच्चों को नौकरी पर रखा जाता है या उनका शोषण किया जाता है तो इसके लिए भी कई कड़े कानून बनाए गए हैं।
  • सभी बच्चों को जरूरी पोषण प्राप्त करने का अधिकार है।
  • बच्चों को समानता का अधिकार है यानी कि किसी के साथ भी भेदभाव करना कानूनी अपराध है।
  • इसके अलावा भारत के संविधान के मुताबिक लड़कियों की शादी 18 वर्ष से पहले तथा लड़कों की 21 वर्ष से पहले करवाना गैरकानूनी है।
  • भारत में भ्रूण हत्या के लिए भी कड़ी सजा का प्रावधान है।
  • देश में लिंग आधारित भेदभाव कानूनी अपराध के दायरे में आता है।

बाल अधिकारों के क्या लाभ हैं?

बालकों के अधिकारों की रक्षा के लिए बाल अधिकार कानून प्रकाश में आए ऐसे में यह जानना जरूरी हो जाता है कि इन कानूनों के लाभ क्या-क्या है?

  • बाल अधिकार कानून का सबसे बड़ा लाभ यह है कि इसकी वजह से लोगों में जागरूकता का प्रचार हुआ है यही वजह है कि अब बच्चों के खिलाफ होने वाले शोषण और अपराधों में पहले के मुकाबले कमी आई है।
  • मौजूदा समय में बाल मजदूरी में भी कमी देखने को मिली है। हालांकि ये पूरी तरह से अभी खत्म नहीं हुई है।
  • बाल श्रम (निषेध व नियमन) कानून 1986 के मुताबिक 14 साल से कम उम्र के बच्चों को किसी भी तरह के अवैध पेशे में नियोजित करने में पाबंदी है। इस अधिनियम में 13 ऐसे व्यवसायों और 57 प्रक्रियाओं को प्रतिबंधित किया गया है। जो बच्चों के जीवन और स्वास्थ्य के लिए अहितकर माने गए हैं। इनमें प्रक्रियाओं में सीमेंट विनिर्माण, साबुन निर्माण, तंबाकू प्रसंस्करण और बीड़ी निर्माण आदि शामिल है।
  • भारत में अब जितने भी विद्यालय हैं उनमें बच्चों पर शारीरिक व मानसिक प्रताड़ना में कमी देखने को मिली है। दरअसल, बच्चों से मारपीट किए जाने को जुवेनाइल जस्टिस एक्ट 23 में शामिल किया गया है और इसके खिलाफ कड़ी सजा का प्रावधान है।
  • जो बच्चे अनाथ हैं उन्हें सुरक्षा प्रदान करने के लिए बाल अधिकार कानून के तहत चाइल्ड वेलफेयर कमिटी का गठन किया गया है।

निष्कर्ष

बच्चों के अधिकारों की रक्षा के लिए बाल अधिकार कानूनों का लाया जाना बेहद जरूरी था लेकिन देखा जाए तो अब भी बच्चों के साथ अपराध पूरी तरह से खत्म नहीं हुए हैं। अब भी इसके लिए कई कड़े कदम उठाने जरूरी है। देश के कई क्षेत्रों में ऐसे बच्चे हैं जो अभी भी शिक्षा के अधिकार से मरहूम है। कई बच्चे हैं जिन्हें एक वक्त का खाना तक नसीब नहीं होता जो कि पोषण प्राप्त करने के अधिकार के खिलाफ है। इसीलिए अभी इन क्षेत्रों में काम किया जाना बेहद जरूरी है जिससे बच्चों के अधिकारों की रक्षा की जा सके।


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Author:

Bharti

भारती, मैं पत्रकारिता की छात्रा हूँ, मुझे लिखना पसंद है क्योंकि शब्दों के ज़रिए मैं खुदको बयां कर सकती हूं।