HINDI KAVITA: विनती
विनती हे हमारे पूर्वजों, पित्तरों मैं कुछ कहना चाहता हू्ँ, परंतु आप लोगों के क्रोध से डरता हू्ँ। पर आज कह ही डालूँगा काहे का डर वैसे भी अब डरकर क्या होगा? जब डरना था तब डरा नहीं, आप लोगों के दिखाये मार्ग का कभी अनुसरण किया नहीं। तभी तो आज रोता हूँजो कल मैंने […]