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History of Telangana & Interesting Facts in Hindi | तेलंगाना का इतिहास और रोचक तथ्य
आजादी के बाद राज्यों का पुनर्गठन किया गया जिसके तहत देश में कई राज्यों की सीमाएं तय की गई। लेकिन समय-समय पर कई राज्यों ने एक अलग प्रदेश के रूप में मान्यता देने की मांग की और इन मांगों को माना भी गया है। जिस वजह से कई नए राज्यों को बनाया गया। ज्यादातर राज्यों की मांग अपनी सांस्कृतिक विविधता, भाषा जैसी कई वजहों से की जाती है।
पहले उत्तर प्रदेश से उत्तराखंड अलग हुआ, पंजाब से हरियाणा, झारखंड से बिहार इसी तरह समय-समय पर कई राज्य बनते रहें। इन्हीं राज्यों में से एक राज्य है तेलंगाना। जो कि आंध्र प्रदेश का हिस्सा था। यह साल 2014 में आंध्र प्रदेश से अलग होकर एक अलग राज्य बना। 2 जून 2014 में यह भारत का 29वां प्रदेश घोषित किया गया था। तो आइए जानते हैं तेलंगाना राज्य का इतिहास, इसके जिले, संस्कृति, वेशभूषा, रीति रिवाज संबंधित सभी जानकारी हिंदी में:-
राज्य का नाम | तेलंगाना |
राजधानी | हैदराबाद |
सबसे बड़ा शहर | हैदराबाद |
क्षेत्रफल | 112,077 वर्ग किलोमीटर |
जनसंख्या | 3,51,93,978 |
जिला | 31 |
स्थापना | 2 जून 2014 |
राज्य की मुख्य भाषाएं | तेलगु, उर्दू |
क्षेत्रफल के आधार पर देश में स्थान | 12वां |
पड़ोसी राज्य | छत्तीसगढ़, ओडिशा, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र |
तेलंगाना की साक्षरता दर | 66.46% |
राजकीय पशु | चीतल |
राजकीय फल | आम |
तेलंगाना का इतिहास (History of Telangana)
तेलंगाना पहले आंध्र प्रदेश राज्य का भाग हुआ करता था। पुराने समय में यह उसी हैदराबाद का हिस्सा है जिसमें निजाम का शासन हुआ करता था। लेकिन राज्य पुनर्गठन के तहत इसे आंध्र प्रदेश के साथ भारत का हिस्सा बनाया गया। परन्तु समय-समय पर तेलंगाना को एक अलग प्रदेश बनाने की मांग उठती रही। समय बीतने के साथ यह मांग जोर पकड़ती गई जिसके बाद 1969, 1972 और 2009 में बड़े आंदोलन भी हुए। राज्य सरकार द्वारा तेलंगाना को एक अलग राज्य बनाने की घोषणा 9 दिसंबर 2009 में आधिकारिक रूप से की गई। लेकिन तेलंगाना प्रदेशों में हो रही हिंसा को देखते हुए इसमें कोई फैसला नहीं लिया गया।
आगे जाकर तेलंगाना राज्य का गठन 2 जून 2014 को हुआ इसे एक अलग प्रदेश बनाने की मांग को लेकर 5 दिसंबर 2013 मंत्री समूह द्वारा विधेयक प्रारूप पेश किया गया। जिसे कैबिनेट ने मंजूरी दी और इस तरह 18 फरवरी को यह विधेयक लोकसभा में तथा इसके 2 दिन बाद राज्यसभा में पास हो गया। राष्ट्रपति के हस्ताक्षर लगने के बाद यह 2 जून 2014 को एक अलग राज्य के रूप में अस्तित्व में आया। इसके अलावा आंध्र प्रदेश की राजधानी हैदराबाद को 10 साल तक के लिए आंध्र प्रदेश और 10 साल के लिए तेलंगाना की राजधानी बनाया गया।
तेलंगाना राज्य के नाम का अर्थ (The history behind the name of Telangana)
तेलंगाना शब्द तेलुगु भाषा के ‘अंगना’ शब्द से लिया गया है। इसका अर्थ होता है ‘वह राज्य जहां पर तेलुगू बोली जाती है।‘ आपको बता दें, इस नाम का इस्तेमाल निजाम (1724 से 1948) ने किया था। दरअसल, उन्होंने इस नाम का इस्तेमाल अपने प्रदेश के मराठी भाषी क्षेत्रों को तेलुगु भाषी क्षेत्रों से अलग करने के लिए किया था।
तेलंगाना की भौगोलिक स्थिति (Geographical Location of Telangana)
तेलंगाना राज्य की सीमाएं महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़ और ओडीशा से मिलती है। यहां कृष्णा, मंजीरा, गोदावरी, मुसी जैसी प्रमुख नदियां प्रवाहित होती है। इस राज्य के सबसे बड़े शहरों में हैदराबाद, वारंगल, करीमनगर और निजामाबाद शामिल है।
तेलंगाना के जिले (Districts of Telangana)
2 जून 2014 को जब तेलंगाना का गठन हुआ तब आंध्र प्रदेश के कुल 23 जिलों में से 10 जिले तेलंगाना के हिस्से आए। लेकिन अक्टूबर 2016 में इन 10 जिलों को पुनर्गठित करवाया तथा इन्हें 21 नए जिलों में परिवर्तित किया गया। जिससे जिलों की संख्या 31 हो गई थी। इन जिलों के नाम कुछ इस प्रकार हैं:-
- करीमनगर
- भद्राद्री कोठागुडम
- जगित्याल
- जनगांव
- जयशंकर भूपलपल्ली
- जोगुलाम्बा गद्वाल
- कामारेड्डी
- कोमाराम भीम आसिफाबाद
- महबूबाबाद
- मंचेरियल
- हैदराबाद
- मेडक
- मेडचल
- नगरकरनूल
- नलगोंडा
- पेद्दापल्ली
- निजामाबाद
- राजन्ना सिरसिल्ला
- महबूबनगर
- वारंगल (ग्रामीण)
- वारंगल(शहरी)
- निर्मल
- रंगारेड्डी
- संगारेड्डी
- सिद्दिपेट
- सूर्योपेट
- विकाराबाद
- वानपर्ती
- यदाद्री भुवनगरी
- अदिलाबाद
- खम्मम
इन जिलों के साथ तेलंगाना को आंध्र प्रदेश की 294 विधानसभा सीटों में से 119 सीटें तथा 42 लोकसभा सीटों में से 17 सीटों की प्राप्ति हुई।
तेलंगाना की भाषा (Official Language of Telangana)
वैसे तो तेलंगाना की आधिकारिक भाषा तेलुगु है परन्तु कई लोग यह कहते हैं कि आंध्र प्रदेश में जो तेलुगु बोली जाती है वह तेलंगाना के तेलगु से बहुत अलग है। इसके अलावा 1948 से पहले हैदराबाद की आधिकारिक भाषा उर्दू थी। लेकिन भारत में जब इसका विलय किया गया तब इसकी Official Language तेलुगु को बनाया गया। सभी शिक्षण संस्थानों में तेलुगु को पढ़ाया जाने लगा। हालांकि राज्य में तेलुगु के बाद उर्दू भाषा को पसंद करने वाले और बोलने वाले लोगों की बहुलता है।
तेलंगाना की संस्कृति (Culture of Telangana)
तेलंगाना राज्य की संस्कृति कई संस्कृतियों का मिश्रण है। यहां पर आपको भारतीय मुगल कुतुब शाही तथा निजाम की परंपरा और संस्कृति का मिश्रण देखने को । इसके साथ ही दक्षिण भारत के राज्यों की संस्कृति का प्रभाव तेलंगाना में स्पष्ट रूप से देखा जाता है। तेलंगाना में हिंदू और मुस्लिम त्योहारों को मनाया जाता है। यहां पर दीपावली, गणेश चतुर्थी, रामनवमी, महाशिवरात्रि तथा ईद, बकरीद जैसे कई त्यौहार धूमधाम से मनाए जाते हैं। परन्तु तेलंगाना में मनाए जाने वाले प्रमुख त्योहारों में बताउकम्मा और लश्कर बोनालु प्रमुख है।
तेलंगाना की वेशभूषा (Traditional Attire of Telangana)
तेलंगाना की महिलाओं का पारंपरिक परिधान साड़ी है। यहां पर अविवाहित महिलाएं लंगा वोनी, सलवार कमीज और चूड़ीदार पहनती हैं। तेलंगाना में बनने वाली पोचंपल्ली साड़ी और गडवाल साड़ी काफी प्रसिद्ध है। 1800 के दशक में यहां की हीचपल्ली साड़ी ने भी काफी प्रसिद्धि हासिल की। हैदराबाद में पुरुषों की शेरवानी काफी ज्यादा प्रसिद्ध है यहां की शेरवानी सामान्य शेरवनियों से थोड़ी लंबी होती है।
तेलंगाना का खानपान (Traditional Food of Telangana)
तेलंगाना में दो तरह के व्यंजन काफी प्रसिद्ध है। यह दो व्यंजन है तेलुगु व्यंजन और हैदराबादी व्यंजन। तेलुगु व्यंजनों की श्रेणी में दक्षिण भारत के मसालेदार भोजन को शामिल किया जाता है। इसमें मुख्यतः बाजरा और रोटी आधारित व्यंजन शामिल होते हैं। इसके अलावा तेलंगाना राज्य के अपने भी कुछ अनूठे व्यंजन है। इसमें जोन्न रोटी (ज्वार रोटी), अपपुडी पिंडी (टूटा हुआ चावल), सज्जा रोटी (बाजरे की रोटी) आदि प्रमुख है।
तेलंगाना के नृत्य (Folk Dance of Telangana)
तेलंगाना के प्राचीन नृत्यों में पेरीनी शिवतंदवम या पेरीनी थांडवम प्रमुख है। यह नृत्य पुरुषों के द्वारा किया जाता है, इसे ‘योद्धाओं का नृत्य’ भी कहा जाता है। बताया जाता है कि जब योद्धा युद्ध में जाते थे तब वे भगवान शिव की मूर्ति के समक्ष इस नृत्य को किया करते थे।
तेलंगाना के प्रमुख पर्यटन स्थल (Major Tourist Places of Telangana)
- वारंगल
तेलंगाना का वारंगल एक ऐतिहासिक स्थान होने के साथ ही पर्यटन का मुख्य केंद्र भी है। यहां पर जितने भी पर्यटक घूमने आते हैं वहां के किले, मंदिर, खूबसूरत जंगल, पहाड़ वन्य जीव अभयारण्यों को देखने जरूर जाते हैं। वारंगल में पर्यटन के प्रमुख जगहों में रामप्पा झील, पाखल झील, वारंगल का किला, कुलपक्षी, जैन मंदिर आदि शामिल है।
- मेदक शहर
तेलंगाना का यह शहर पटाखों के लिए मुख्य आकर्षण का केंद्र है। इस शहर में स्थित मेदक किले में हिंदू और इस्लामिक स्थापत्य शैली की आकर्षक मूर्तियां देखी जा सकती है। यहां पर कई वनस्पति तथा जीवों की प्रजातियां आपको देखने को मिलेगी। इस शहर में कई पर्यटक स्थल जैसे पुरातत्व संग्रहालय, राम लिंगेश्वर मंदिर, गौतम गुट्टा हिल, लक्ष्मी नरसिम्हा स्वामी मंदिर आदि स्थित है।
- निजामाबाद
तेलंगाना का निजामाबाद एक धार्मिक शहर है। यहां पर आपको कई मंदिर देखने को मिल जाएंगे। इन मंदिरों की नक्काशी लोगों को काफी पसंद आती है। निजामाबाद शहर में श्री राम सागर बांध, अली सागर बांध, निजाम सागर बांध तथा निजामाबाद का किला समेत कई प्रसिद्ध पर्यटन स्थल है।
तो ऊपर दिए गए लेख में आपने जाना तेलंगाना का इतिहास और रोचक तथ्य (Telangana History and Interesting Facts in Hindi), उम्मीद है आपको हमारा लेख पसंद आया होगा।
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Author:
भारती, मैं पत्रकारिता की छात्रा हूँ, मुझे लिखना पसंद है क्योंकि शब्दों के ज़रिए मैं खुदको बयां कर सकती हूं।