Essay on Importance of Hard Work

Essay on Importance of Hard Work Hindi
परिश्रम का महत्व पर निबंध | Importance of Hard Work Essay in Hindi

परिश्रम का महत्व पर निबंध | Importance of Hard Work Essay in Hindi


प्रस्तावना

दोस्तों कार्य और परिश्रम दो अलग-अलग शब्द है और दोनों का अलग-अलग अर्थ एवं महत्व होता है लेकिन फिर भी कहीं न कहीं ये एक दूसरे के पूरक है। इसलिए किसी न किसी रूप में ये दोनों एक दूसरे से जुड़े होते है क्योंकि किसी भी कार्य को करने के लिए परिश्रम की बहुत आवश्यकता होती है।

इस बात से तो आप सभी सहमत होंगे कि परिश्रम हमारे जीवन में बहुत महत्व रखता है। जिस प्रकार भोजन और नींद का महत्व व्यक्ति के जीवन में होता है उसी प्रकार परिश्रम का भी अपना विशेष महत्व होता है, ये तो हम सभी जानते है कि बिना परिश्रम के किसी भी कार्य को नहीं किया जा सकता है तथा परिश्रम किए बिना किसी कार्य मे सफलता मिलना भी असंभव है। परिश्रम के बिना व्यक्ति का जीवन व्यर्थ है एक व्यक्ति के लिए उसका कार्य और परिश्रम ही उसके भगवान और पूजा है। गीता में भी इस बात का उल्लेख है कि जो भी व्यक्ति परिश्रम नहीं करता है उसके जीवन में हमेशा आलस्य, दुख, दरिद्रता रहती है और उसका जीवन दूसरों पर आश्रित रहने वाला हो जाता है।

जो भी व्यक्ति परिश्रमी होता है उसका समाज में विशिष्ट स्थान होता है, समाज के लोग उस व्यक्ति के साथ आधार पूर्ण व्यवहार करते हैं तथा उसका सम्मान भी करते हैं। हर एक कार्य को करने में परिश्रम की आवश्यकता है इसलिए व्यक्ति को कभी भी मेहनत व परिश्रम से पीछे नहीं हटना चाहिए, परिश्रम के द्वारा ही व्यक्ति अपनी इच्छाओं की पूर्ति कर सकता है।

परिश्रम की परिभाषा

परिश्रम को किसी एक शब्द में परिभाषित नहीं किया जा सकता है या यूँ कहें कि परिश्रम को परिभाषित करना आसान नहीं है लेकिन फिर भी अगर हम परिश्रम को सरल शब्दों में परिभाषित करें तो वे सभी कार्य जिनको करने में व्यक्ति का शारीरिक एवं मानसिक ऊर्जा का दोहन होता है, परिश्रम कहलाता है। आसान शब्दों में यदि बात की जाए- किसी काम को करने में व्यक्ति द्वारा किया जाने वाला मेहनत परिश्रम कहलाता है। किसी व्यक्ति के परिश्रम से ही यह तय होता है कि वह इंसान कितना शीघ्र सफलता प्राप्त करेगा।

परिश्रम के प्रकार

परिश्रम तो हर व्यक्ति करता है और जिस को जिस तरह से परिश्रम करके सफल होना होता है वह व्यक्ति उसी प्रकार से परिश्रम करता है वैसे तो परिश्रम को दो भागों में बांटा गया है।

1. शारीरिक परिश्रम

2. मानसिक परिश्रम

1. शारीरिक परिश्रम

सबसे पहले हम बात करेंगे शारीरिक परिश्रम के बारे में, तो जिस परिश्रम में शारीरिक अंगों के द्वारा कार्य किया जाता है तथा शरीर के अंगो के बल का प्रयोग होता है वह शारीरिक परिश्रम के अंतर्गत आता है। शारीरिक परिश्रम में सामान्यतः मजदूर, रिक्शा चालक, फैक्ट्री वर्कर इत्यादि आते हैं।

2. मानसिक परिश्रम

जिस परिश्रम में दिमाग की बौद्धिक क्षमता का प्रयोग किया जाता है तथा जो मस्तिष्क द्वारा मानसिक रूप से की जाती है वह मानसिक परिश्रम कहलाती है। इसमें सामान्यतः शिक्षक, वैज्ञानिक, इंजीनियर व डॉक्टर इत्यादि आते हैं। किसी भी नए काम की शुरुआत करने में या किसी चीज का निर्माण करने में मानसिक और शारीरिक दोनों परिश्रम को करना पड़ता है। सबसे पहले तो व्यक्ति मानसिक परिश्रम करता है लेकिन उसको वास्तविक रूप देने के लिए शारीरिक परिश्रम भी किया जाता है।

परिश्रम का महत्व

परिश्रम का हर प्राणी के जीवन में महत्व है, बिना परिश्रम के किसी भी क्षेत्र में सफलता प्राप्त नहीं की जा सकती है। जब तक मनुष्य परिश्रम करता है तब तक उसके जीवन की गाड़ी चलती रहती है और जैसे ही मनुष्य परिश्रम करना बंद कर देता है उसके सारे कार्य रुक जाते हैं। बिना परिश्रम किए मनुष्य कुछ भी नहीं प्राप्त कर सकता है। मनुष्य को जीवन यापन करने के लिए हर रोज परिश्रम करना पड़ता है यहां तक कि उठने, बैठने, चलने की समस्त क्रियाएं भी परिश्रम का ही एक भाग है। परिश्रम के द्वारा ही देश का विकास होता है परिश्रम के बिना हम देश के विकास की कल्पना भी नहीं कर सकते। अगर वर्तमान समय में देखा जाए तो जितने भी देशों ने विकास किया है वह परिश्रम के बल पर ही किया है। वहां के लोगों ने देश को विकसित बनाने में जी तोड़ मेहनत व परिश्रम की है। दूसरे रूप में परिश्रम का अर्थ है विकास और रचना

परिश्रम क्यों जरूरी है

अगर हम चाहते है कि हम सभी अपने जीवन मे सफल हो तो परिश्रम करना बहुत ही जरूरी है। परिश्रम के द्वारा ही प्राणी का जीवन संभव है यदि प्राणी परिश्रम नहीं करेगा तो उसका जीवन यापन करना मुश्किल हो जाएगा। जीवन में सफलता पाने के लिए तथा अपने जीवन को सफल बनाने के लिए परिश्रम करना बहुत जरूरी है। व्यक्ति की सफलता और असफलता ये दोनों ही उसके परिश्रम पर निर्भर करती है, जो जितना परिश्रम करेगा उसको उतना ही जल्दी और अधिक प्रभावशाली सफलता प्राप्त होगी।

उदाहरण के लिए आप एक छोटी सी चींटी को ही ले लीजिए वो भी स्वयं के लिए भोजन ढूंढने हेतु बहुत परिश्रम करती है और उसके परिश्रम के फलस्वरुप ही उसे भोजन प्राप्त होता है। परिश्रम हर किसी को करना बहुत आवश्यक है, परिश्रम और मेहनत के द्वारा ही मनुष्य ऊँचे से ऊँचे पहाड़ों को काटकर रास्ता बना देता है, तथा ऊंचाई की शिखरता को प्राप्त कर लेता है, बंजर भूमि को उपजाऊ बना देता है। हर एक सफलता आपके परिश्रम पर ही निर्भर करती है।

परिश्रम के लाभ

जब मनुष्य परिश्रम करता है तो उसे सफलता के साथ आत्म संतुष्टि और धन की प्राप्ति भी होती है, बिना परिश्रम किए सफलता मिलना लगभग नामुकिन है और अगर सफलता मिल भी जाती है तो ऐसी सफलता लंबे समय तक नहीं टिकती।

आज का युवा हर चीज में शार्टकट ढूढ़ता है, उन्हे यह समझना चाहिए कि सफलता कोई रातों रात मिलने वाली चीज नही है उसको पाने का एकमात्र रास्ता परिश्रम है और जब तक हम परिश्रम नहीं करेंगे तब तक सफलता हमारे कदम नहीं चूमेगी। हमारा इतिहास बहुत सारे ज्ञानी पुरुषों से भरा पड़ा है जिन्होंने सफलता पाने के लिए कड़ी मेहनत की तब जाकर उनका नाम पूरे विश्व में प्रसिद्ध हुआ। हमारे पास ऐसे बहुत सारे वीर है जिन्होंने परिश्रम व मेहनत के बल पर देश को स्वतंत्रता दिलाई।

परिश्रम के लाभ इस प्रकार है: –

1. स्थाई सफलता मिलती है

जैसा कि पहले भी बताया गया है सफलता आसानी से, व रातों-रात मिलने वाली चीज़ नहीं है इसके लिए सतत मेहनत की आवश्यकता होती है, स्थाई सफलता वह सफलता है जो आजीवन हमारे साथ रहे। परिश्रम करने से ही हमे स्थाई सफलता मिलती है क्योंकि कभी भी सफल व्यक्ति किस्मत के बल पर कोई भी कार्य नहीं करना चाहता है और न ही वह सफल होने के लिए किस्मत को आजमाता है, वह सतत मेहनत कर अपनी किस्मत खुद लिखता है। हमे ये हमेशा याद रखना चाहिए कि परिश्रम कभी भी व्यर्थ नही जाता है सच्चे मन से किए गए परिश्रम का फल हमे अवश्य मिलता है।

2. नए अवसर बनते है

परिश्रम ही सफलता की कुंजी है, इस कहावत को तो आपने सुना ही होगा, अतः जब हम परिश्रम करना शुरू कर देते है तो नए- नए रास्ते हर नयी चुनौती से निपटने के लिए आपको मिलते जाते है। अतः हम यह कह सकते है सफलता आपको नए अवसर व नयी चुनौती से निपटने के लिए तैयार करती है।

3. अच्छे चरित्र का निर्माण

परिश्रम मनुष्य का सर्वांगीण विकास करता है और उसका चरित्र व आचरण अनुकरणीय बनाता है, अनुकरणीय से मतलब है लोग आपको और आपके आचरण से बहुत कुछ सीखते है या सीखना चाहते है, यह तभी संभव है जब आपने स्वयं को परिश्रम रुपी भट्ठी में खूब तपाया हो।

4. सकारात्मकता बनी रहती है

मनुष्य को हमेशा आनंदमय जीवन यापन करने हेतु सकारात्मक सोच रखनी चाहिए और एक परिश्रमी व्यक्ति चाहे कितना भी दुखी क्यों न हो, उसके पास चाहे कितना भी दुख क्यों न हो, लेकिन वह स्वयं के सकारात्मक विचारों से इन समस्त परेशानियों का हल निकाल लेता है और किंचित मात्र भी विचलित नहीं होता है।

परिश्रम और भाग्य

परिश्रम और भाग्य में बहुत अंतर है, अक्सर इन दोनों को लेकर कई संवाद भी हुए है कि कौन ज्यादा प्रभावशाली है। हमेशा इन दोनों के बीच मतभेद की स्थिति बनी रहती है कोई परिश्रम को प्रभावशाली व शक्तिशाली मानता है और उनका कहना होता है कि परिश्रम के द्वारा ही सफलता प्राप्त की जा सकती है। लेकिन बहुत लोग भाग्य को बलवान मानते हैं उनके अनुसार अगर आपका भाग्य आपके साथ होगा तो आपको सफलता प्राप्त होगी और परिश्रम को ज्यादा शक्तिशाली नहीं मानते हैं लेकिन यह समझने वाली बात है कि दोनों का अपना-अपना महत्व है।

आजकल बहुत से युवा व छात्र परिश्रम को त्यागकर, भाग्य पर निर्भर रहना चाहते हैं। उनका मानना है कि अगर भाग्य साथ देगा तो सफलता जरूर मिलेगी, अगर आपका भाग्य साथ ही नहीं देगा तो आपके परिश्रम करने का कोई लाभ नहीं होगा लेकिन महापुरुषों का मानना है कि कभी भी भाग्य के सहारे अपनी सफलता को नहीं छोड़ना चाहिए बल्कि कठिन परिश्रम करना चाहिए क्योंकि परिश्रम से आपका भाग्य बदल सकता है और आप जीवन में अपेक्षित सफलता प्राप्त कर सकते हो।

सही दिशा में परिश्रम

जीवन में सिर्फ परिश्रम करना आवश्यक नहीं है बल्कि सही दिशा मे परिश्रम करना आवश्यक है। सही दिशा में किए गए परिश्रम का फल अवश्य ही अच्छा मिलता है। हमेशा परिश्रम को उसी दिशा में करना चाहिए जिसमें आपको सफलता मिले, जिसको करने पर आपका समय बर्बाद न हो। कुछ लोग सही दिशा में परिश्रम नहीं करते हैं और उनको लगता है कि उनको परिश्रम के बावजूद सफलता नहीं मिल रही है।

उदाहरण के लिए- अगर कोई व्यक्ति अभिनेता बनना चाहता है और उसको पता है कि उसके अंदर एक अच्छे अभिनेता के गुण हैं लेकिन वह फिर भी अभिनेता न बनकर डायरेक्टर या प्रोड्यूसर बन जाता है और उस काम में विफल हो जाता है तो उसे लगता है मैंने मेहनत तो की पर सफल नहीं हुआ परंतु सच्चाई यह है की उसने सही दिशा में परिश्रम नहीं किया।

आलस्य से बचे

जीवन में सफलता तभी संभव है जब आप अपने कार्य में सतत हो। सतत से तात्पर्य है निरंतरता से, अगर आप किसी काम को रोजाना सम्पूर्ण मन से नहीं करेंगे तो अपेक्षित सफलता मिलना मुश्किल है। आलस्य एक ऐसा शत्रु है जो आपको सतत परिश्रम से दूर कर देता है अतः जीवन में सफलता के लिए आलस्य का परित्याग करें।

निष्कर्ष

अतः आपने देखा परिश्रम के बिना जीवन में कुछ भी हासिल नहीं किया जा सकता है, सतत परिश्रम जीवन में नयी सम्भावना को जन्म देता है, परिश्रम व्यक्ति का चरित्र निर्माण करता है, उसे अन्य लोगों से अलग और बेहतर बनाता है।

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तो ऊपर दिए गए लेख में आपने पढ़ा परिश्रम का महत्व पर निबंध (Importance of Hard Work Essay in Hindi), उम्मीद है आपको हमारा लेख पसंद आया होगा।

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Author:

मेरा नाम मनीषा सिंह है। मै ऑल इंडिया रेडियो में रेडियो प्रस्तोता हूं , मैने पत्रकारिता एवं जनसंचार से M.Phil किया है।