HINDI KAVITA: हे जगत जननी
Last updated on: October 21st, 2020 हे जगत जननी हे जगत जननी,अम्बे,जगदम्बे माँ मुझ पर कृपा करो, मैं अबोध,अज्ञानी, पापी मेरी भी नैय्या पार करो। पूजा, पाठ,भोग,आरती न जानूं मैं बस कौतुहलवश शीश झुका लेता हू्ँ, नीति अनीति, छल प्रपंच से अंजान तेरा दर्शन भर कर लेता हू्ँ। श्रद्धा के दो पुष्प कभी कभार तेरे […]